*ढाई साल बाद कर्नाटक कांग्रेस में फिर शुरू हुई कुर्सी की लड़ाई, पद छोड़ने के मूड में नहीं सिद्धरमैया*
*नई दिल्ली*
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सरकार के गठन के समय पार्टी के दो बड़े नेताओं सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच जो टसल शुरू हुई थी, वह एक बार फिर सामने आने लगी है। इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से सियासी गलियारों में बहस तेज होने लगी है कि क्या कांग्रेस सिद्धरमैया को बदलकर शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाएगी। चर्चा यह भी है कि दोनों नेताओं के बीच सुलह कराने के लिए पार्टी सीएम की कुर्सी साझा करने के फॉर्मूले पर सहमत हुई थी।
सत्ता साझा करने पर बनी सहमति के बारे में कांग्रेस ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है, लेकिन दोनों ही नेताओं के समर्थक अपने-अपने पक्ष में दावे कर रहे हैं। इसे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है। सिद्धरमैया ने 20 नवंबर को ही मुख्यमंत्री के तौर पर ढाई साल पूरे किए हैं। कांग्रेस सूत्रों के हवाले से आई खबरों में बताया कि शिवकुमार को अगला मुख्यमंत्री बनाने के लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाने के मकसद से कम से कम 15 विधायक और करीब एक दर्जन विधान परिषद सदस्य दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं।
दो साल पहले कांग्रेस 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में 135 सीटों के साथ सत्ता में आई थी। तब के दिनों में किसी राज्य में कांग्रेस की यह बड़ी जीत थी। लेकिन पार्टी इस का जश्न ठीक से मना भी नहीं पाई थी कि सिद्धरमैया और शिवकुमार के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर ठन गई। पार्टी आलाकमान ने उस समय तो किसी तरह मामले को संभाल लिया। लेकिन एक बार कर्नाटक में कांग्रेस का नाटक खुलकर सामने आ गया है। पार्टी को सख्त चेतावनी देनी पड़ी है और अपने विधायकों और नेताओं पर नेतृत्व को लेकर सार्वजनिक बयान देने से रोकना पड़ा है।
*सिद्धरमैया ने कहा, मैं सीएम बना रहूंगा*
शिवकुमार के समर्थकों के दिल्ली में डेरा डालने के बीच सीएम सिद्धरमैया ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री बना रहूंगा। कहा कि नेतृत्व में बदलाव, कैबिनेट में फेरबदल या सरकार के पुनर्गठन पर फैसला कांग्रेस हाईकमान को करना है।
*शिवकुमार ने दी बधाई*
सीएम सिद्धरमैया के बयान पर शिवकुमार ने कहा कि मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। हम सब मिलकर काम करेंगे।
*पद छोड़ने के मूड में नहीं सिद्धरमैया*
सिद्धरमैया मुख्यमंत्री पद छोड़ने के मूड में नहीं लग रहे है। नेतृत्व के मुद्दे पर नेताओं और विधायकों को चुप कराने के पार्टी नेतृत्व को वह अपने पक्ष में मान रहे हैं। उनका साफ कहना है कि पार्टी नेतृत्व जो कहेगा उसे उन्हें और शिवकुमार को मानना होगा। मुख्यमंत्री बने रहने को लेकर वह पूरी तरह आश्वस्त नजर आ रहे हैं। विधायकों के दिल्ली में डेरा जमाने को भी वह महत्व नहीं देते। वहीं, शिवकुमार विधायकों का बचाव करते हैं। उनका कहना है विधायकों को अपने शीर्ष नेताओं से मिलने का हक है। आप उन्हें रोक नहीं सकते हैं।
*डीके ने जिम्मेदारी हाईकमान पर डाली*
शिवकुमार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी है। बीच में खबर आई थी कि उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने का मन बनाया है। वह सिद्धरमैया से किसी मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते हैं। उनका साफ कहना है कि उन्होंने सारी जिम्मेदारी शीर्ष नेतृत्व पर छोड़ दिया है। उनका कहना है कि सीएम हाईकमान की बात मानेंगे और वह भी वैसा ही करेंगे। इसलिए अब बात उनके और हाईकमान के बीच है। हम सभी हाईकमान के फैसले के प्रति प्रतिबद्ध हैं। सिद्धरमैया के पांच साल पूरे करने के सवाल पर वह उन्हें शुभकामनाएं भी देते हैं।
*पार्टी की लड़ाई के लिए भाजपा पर दोषारोपण*
हैरानी की बात यह है कि प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई के लिए पार्टी के प्रदेश प्रभारी और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला भाजपा को दोषी ठहराते हैं। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा कि उनकी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से बात हुई है। दोनों ने माना है कि भाजपा मीडिया के एक हिस्से के साथ मिलकर कांग्रेस और उसकी सरकार को बदनाम करने के लिए अभियान चला रही है। हालांकि, कांग्रेस को यह भूलना नहीं चाहिए कि राजस्थान में पार्टी के दो बड़े नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई में राज्य उसके हाथ से निकल गया था।



