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पलक झपकते ही दुश्मनों और तस्करों पर टूट पड़ती हैं ये फौजी बेटियां, भारत-म्यांमार सीमा पर हैं तैनात* 

*पलक झपकते ही दुश्मनों और तस्करों पर टूट पड़ती हैं ये फौजी बेटियां, भारत-म्यांमार सीमा पर हैं तैनात*

 

*नई दिल्ली*

 

नवरात्र के पावन पर्व पर जब पूरे देश में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा हो रही है, उसी समय भारत-म्यांमार अंतरराष्ट्रीय सीमा पर असम राइफल्स की बहादुर राइफल वूमन भी शक्ति, साहस और देशभक्ति के साथ देश रक्षा के लिए डटी हैं। कठिन परिस्थितियों, जंगलों और पहाड़ी रास्तों से घिरे इस इलाके में ये चौबीसों घंटे चौकस रहती हैं।

 

पलक झपकते ही दुश्मनों पर टूट पड़ती हैं और तस्करों को धूल चटा देती हैं। देश की राजधानी दिल्ली से लगभग 2600 किलोमीटर दूर और मिजोरम की राजधानी आइज़ोल से करीब 190 किलोमीटर दूर, भारत-म्यांमार बॉर्डर पर तैनात ये वीरांगनाएं उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। आरामदायक जीवन चुनने की जगह इन्होंने कठिन परिस्थितियों में वर्दी पहनकर देश की सेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। इस इलाके से भारी मात्रा में ड्रग्स की तस्करी होती है, जिसे रोकने में राइफल वूमेन खास भूमिका रहती है। इन वीरांगनाओं ने कहा कि देश सेवा सबसे बड़ा धर्म है और इसके लिए कुछ भी कर सकती हैं।

 

*हौसले को सलाम, हर चुनौतियों का डटकर करती हैं मुकाबला*

 

*शकुंतला मीणा: आराम की जिंदगी की जगह वर्दी चुना*

 

राजस्थान के अलवर की राइफल वूमन शकुंतला मीणा बीएड हैं। तीन बहनें सेना में है। आराम की जिंदगी चुन सकती थीं, लेकिन वर्दी चुनी।

 

*शोभा पाल: बचपन का सपना पूरा हुआ, देश सेवा धर्म*

 

बिहार के सिवान की शोभा पाल ने बीएससी ज्योलॉजी ऑनर्स किया। कहती हैं, देश सेवा ही धर्म। वर्दी पर गर्व है।

 

*ज्योत्साना बेगम: देश सेवा का जज्बा ही यहां तक लाया*

 

देश सेवा का जज्बा यहां तक लाया। गुवाहाटी की रहने वाली ज्योत्सना बेगम बताती हैं, मेरा भाई भी सेना में है।

 

*चांदनी: वर्दी मेरा सपना थी और देश मेरी जान है*

 

झारखंड की चांदनी ने बीकॉम ऑनर्स किया, लेकिन जिंदगी का सबसे बड़ा सपना था वर्दी पहनना। कहा कि देश को अपनी जान से ज्यादा चाहती हूं।

 

*अंजलि वर्मा: फौज में आना मेरा निर्णय, परिवार ने साथ दिया*

 

फौज में आने का निर्णय मेरा था, परिवार ने साथ दिया। जम्मू-कश्मीर की अंजलि वर्मा कहती हैं, असम राइफल्स का हिस्सा होना गर्व।

 

*पिंसी गुप्ता: मौका मिलते ही देश सेवा को चुना*

 

बिहार की प्रिंसि गुप्ता बताती हैं, पहले सोचा नहीं था कि सेना में जाऊंगी, लेकिन जब मौका मिला तो तुरंत कदम बढ़ा दिए।

 

*रेखा चौहान: वर्दी मिलने की खुशी बयां करने के शब्द नहीं*

 

वर्दी पहनने के बाद जो खुशी मिली, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। यूपी की रेखा कहती हैं, शानदार करिअर है।

 

*अमीषा: वह गौरव का पल था*

 

छत्तीसगढ़ की अमीषा कहेती हैं, बचपन में फौजियों को देखकर ही ठान लिया था कि एक दिन मैं भी सेना में जाऊंगी। पहली बार वर्दी पहनना गर्व की बात।

 

*सुशीला: 10वीं में ही तय किया था*

 

घर के पास फौज का कैंप था, वहीं से प्रेरणा मिली। उत्तराखंड की सुशीला कहती हैं, दसवीं में ही तय कर लिया था कि सेना में जाना है। पिता किसान और मां गृहिणी हैं, दोनों मेरे फैसले से खुश हैं।

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Author: Em Tv Live

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