श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालु* 

*श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुन भाव-विभोर हुए श्रद्धालु*

 

*रामगढ़(दुमका)*

 

*बजरंग अग्रवाल की रिपोर्ट*

 

रामगढ़ प्रखंड अंतर्गत सिलठा बी गांव के माँ लक्खी मंदिर में आयोजित सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा पांचवें दिन भी जारी रही। आज कथा वाचिका अमृता त्रिपाठी ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, पुतना वध का प्रसंग सुनाया। कथा सुनकर श्रोता भक्त भावविभोर हो गए। भगवान श्रीकृष्ण के सुमधुर बाल लीला का वर्णन करते हुए कथा वाचिका ने कहा भगवान श्री कृष्ण ज़ब मात्र छह दिन के थे, तभी से उन्होंने लीलाएं की। इधर राजा कंस की चिंताएं दिनों दिन बढ़ती जा रही थी और उसे मृत्यु भय सता रहा था।

राजा कंस ने गोकुल में नवजात शिशु से लेकर छोटे बच्चों को मारने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने पुतना नामक राक्षसी को गोकुल भेजा। पुतना अपनी माया शक्ति से राक्षस वेश त्याग कर मनोहर स्त्री का रूप धारण कर स्तन में कालकुट बिष लेप कर आकाश मार्ग से गोकुल पहुंची। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने दोनों हाथों से उसका कुच थाम कर उसके प्राण सहित दुग्धपान करने लगे। इस पीड़ा को पुतना सह नहीं पायी और भयंकर गर्जना से पृथ्वी, आकाश तथा अंतरिक्ष गूंज उठे। भगवान ने पूतना का वध कर उसे मुक्ति दी।

 

पुतना राक्षसी स्वरूप को प्रकट कर धड़ाम से भूमि पर बज्र के समान गिरी, उसका सिर फट गया और उसके प्राण निकल गए। जब यशोदा, रोहिणी और गोपियों ने उसके गिरने की भयंकर आवाज को सुना, तब वे दौड़ी-दौड़ी उसके पास गई। उन्होंने देखा कि बालक कृष्ण पूतना की छाती पर लेटा हुआ स्तनपान कर रहा है तथा एक भयंकर राक्षसी मरी हुई पड़ी है। उन्होंने बालक को तत्काल उठा लिया और पुचकार कर छाती से लगा लिया। कहा जब भगवान तीन माह के हुए तो करवट उत्सव मनाया गया। तभी शकटासुर नामक असुर उन्हें मारने के लिए आया।

भगवान ने संकट भंजन करके उस राक्षस का उद्धार किया।इसी तरह बाल लीलाएं, माखन चोरी लीला, ऊखल बंधन लीला, यमलार्जुन का उद्धार आदि दिव्य लीलाएं की है। श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला दिव्य है और हर लीला का महत्व आध्यात्मिक है। भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं हमें सिखाती है कि भक्ति और प्रेम से भगवान को प्राप्त किया जा सकता है। कथा वाचिका ने कहा यह कथा हमें सिखाती है कि हमें अभिमान नहीं करना चाहिए और कर्म करना चाहिए, फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। भागवत कथा सुनने से मन शांत होता है।सभी प्रकार के तनाव दूर होते है।उनके सहयोगियों के द्वारा एक से एक भजन प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने के लिए विवश कर दिया।

इस भागवत कथा ज्ञान यज्ञ से आसपास क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया।छोटे बालकों ने कान्हा का रुप धारण कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया।आयोजन समिति द्वारा आयोजन का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

https://emtvlive.in/

http://aajtakjharkhand.in

Em Tv Live
Author: Em Tv Live

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *