*लेजर हथियार प्रणाली से ड्रोन-मिसाइल को मार गिराएगा भारत, उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश*
*नई दिल्ली*
*दीपक कुमार शर्मा*
भारत ने अब लेजर हथियार प्रणाली से दुश्मन के ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली है। डीआरडीओ की तरफ से पहली बार आंध्र प्रदेश के कुरनूल में इस 30 किलोवाट लेजर आधारित हथियार प्रणाली की क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इस प्रणाली का उपयोग करके फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट, मिसाइल और स्वार्म ड्रोन (एक साथ आने वाले कई ड्रोन) को निशाना बनाया गया। ऐसा करके भारत अमेरिका, चीन और रूस सहित उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने ऐसी क्षमता दिखाई है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने कहा कि यह सिर्फ एक शुरुआत है। उन्होंने कहा कि इस सफलता में कई डीआरडीओ प्रयोगशालाओं, उद्योग और शैक्षिणक संस्थानों ने मिलकर काम किया है। मुझे यकीन है कि हम जल्द ही अपनी मंजिल तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम अभी और भी ताकतवर तकनीकों पर काम कर रहे हैं। इनमें उच्च ऊर्जा माइक्रोवेव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स जैसी अन्य उच्च ऊर्जा प्रणालियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये तकनीकें हमें स्टार वार्स जैसी क्षमता प्रदान करेंगी। आज जो आपने देखा, वह स्टार वार्स तकनीकों की दिशा में एक छोटा, लेकिन अहम कदम है।
*अमेरिका-रूस और चीन इस प्रणाली का कर चुके प्रदर्शन: डॉ. कामत*
डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ कामत ने आगे कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, हमसे पहले अमेरिका, रूस और चीन ने लेजर हथियार प्रणाली का प्रदर्शन किया है। इस्राइल भी इसी तरह की क्षमताओं पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम इस प्रणाली का प्रदर्शन करने वाले दुनिया के चौथे या पांचवें देश हैं।
*2035 तक तैयार होगा पहला 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ विमान*
भारत के पहले 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के बारे में पूछे जाने पर डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. कामत ने कहा कि एक नया प्लेटफॉर्म विकसित करने में 10 से 15 साल लग जाते हैं। सीसीएस से परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद, हमने यह यात्रा 2024 में ही शुरू की है। इसलिए हम 2035 का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
*AERO इंजन भी बनाएगा डीआरडीओ: अध्यक्ष*
डीआरडीओ अध्यक्ष ने आगे कहा कि हम एक AERO इंजन प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू करना चाहते हैं। यह तकनीक बहुत जटिल है। इसलिए हम जोखिमों को कम करने के लिए एक विदेशी कंपनी OEM के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चौथी पीढ़ी के इंजन कावेरी से हमने बहुत कुछ सीखा है, लेकिन वर्तमान में इंजन तकनीक छठी पीढ़ी में चली गई है। इसलिए जोखिमों को कम करने के लिए डीआरडीओ विदेशी कंपनी के साथ काम करना चाहता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ महीनों में इस बारे में कुछ अच्छी खबर मिलेगी।

Author: Em Tv Live



