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नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ता जा रहा असंतोष; सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बोले- गृहयुद्ध की आशंका* 

*नेतन्याहू के खिलाफ बढ़ता जा रहा असंतोष; सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बोले- गृहयुद्ध की आशंका*

 

*नई दिल्ली*

 

*दीपक कुमार शर्मा की रिपोर्ट*

 

पश्चिमी एशियाई देश इस्राइल हमास के साथ 16 महीने से जारी हिंसक संघर्ष के अलावा कुछ अन्य क्षेत्रीय देशों के साथ तनाव को लेकर लगातार चर्चा में है। कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहे इस देश में अब गृह युद्ध की आशंका है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू नीत सरकार के खिलाफ लोग बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में इस्राइली सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने गृहयुद्ध की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस्राइली सरकार देश के शीर्ष कानूनी और सुरक्षा अधिकारियों को हटाने पर अड़ी रहेगी तो सांविधानिक संकट पैदा हो सकता है।

 

बता दें कि पीएम नेतन्याहू पिछले सप्ताह शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा सेवा) के प्रमुख रोनेन बार को बर्खास्त करने का एलान कर चुके हैं। उन्होंने इस कदम को उठाने के पीछे हमास के 7 अक्तूबर, 2023 के हमलों को रोकने में विफलता के कारण का हवाला दिया।

 

*अटॉर्नी जनरल को बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू*

 

नेतन्याहू की सरकार ने अटॉर्नी जनरल को बर्खास्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। उन पर आरोप लगाया गया है कि वे सरकार के एजेंडे में बाधा डाल रहे हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब शिन बेट नेतन्याहू के कार्यालय में संभावित घुसपैठ की जांच कर रही है। नेतन्याहू पर भ्रष्टाचार का मुकदमा भी चल रहा है। ऐसे में सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव के कारण इस्राइल में तनाव बढ़ने का खतरा है।

 

*सरकार और न्यायपालिका के बीच तनाव*

 

नेतन्याहू की सरकार ने 2023 की शुरुआत में न्यायपालिका में व्यापक बदलाव की प्रक्रिया शुरू की थी, जिससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। आलोचकों का कहना है कि नेतन्याहू को बहुत अधिक शक्ति प्रदान करके इस बदलाव से देश की नियंत्रण और संतुलन प्रणाली को कमजोर किया जाएगा। वहीं, समर्थकों का कहना है कि न्यायपालिका ने बहुत अधिक हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।

 

*हमास के हमले के बाद न्यायपालिका में बदलाव पर लगा ब्रेक*

 

7 अक्तूबर को हमास ने गाजा में हमला कर युद्ध को जन्म दिया, जिसके बाद न्यायपालिका में नेतन्याहू द्वारा किए जा रहे बदलावों पर ब्रेक लग गया। हालांकि देश में इस बात को लेकर विभाजन पैदा हो गया कि हमले को रोकने में विफल रहने के लिए किसे दोषी ठहराया जाए। दूसरी तरफ, नेतन्याहू ने जिम्मेदारी लेने से बचते हुए सेना और शिन बेट के प्रमुखों पर आरोप लगाने की कोशिश की है।

 

*बार को बर्खास्त करने की घोषणा से शुरू हुआ विरोध*

 

पिछले हफ्ते, नेतन्याहू ने बार को बर्खास्त करने की घोषणा की, जिसके बाद व्यापक विरोध शुरू हो गया। आलोचकों का कहना है कि यह कदम इस्राइल की स्वतंत्र संस्थाओं को कमजोर करेगा।

 

*इस्राइल में कोई आधिकारिक संविधान नहीं*

 

बता दें कि इस्राइल में कोई आधिकारिक संविधान नहीं है। संसद का सिर्फ एक सदन है, जिस पर नेतन्याहू के गठबंधन का नियंत्रण है। इस्राइल का सर्वोच्च न्यायालय लंबे समय से सरकारी फैसलों पर नजर रख रहा है। बार को बर्खास्त करने के फैसले को पहले ही न्यायालय में चुनौती दी जा चुकी है। अदालत ने बार की बर्खास्तगी पर अगली सुनवाई तक रोक लगा रखी है।

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Author: Em Tv Live

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