*डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से तेल की कीमतों में आई गिरावट, भारी दबाव में आए पुतिन*
*नई दिल्ली*
*नितिन गौतम की रिपोर्ट*
यूक्रेन के साथ युद्ध शुरू होने के बाद से रूस की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल, ऊर्जा और खनिजों के निर्यात पर निर्भर हो गई है। यही वजह रही कि पश्चिमी देशों के तमाम प्रतिबंध लगाने के बावजूद पुतिन को परेशानी नहीं हुई, लेकिन अब लगता है कि ट्रंप के टैरिफ लगाने से रूस पर दबाव बढ़ गया है। दरअसल टैरिफ वार के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट आई है। सोमवार को तेल की कीमतें घटकर 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गईं। वहीं रूस के यूराल तेल की कीमत तो और गिरकर 50 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं।
तेल की कीमतें गिरने से पुतिन सरकार पर आर्थिक दबाव बढ़ा है। तेल और गैस सेक्टर ही रूस के खजाने में सबसे ज्यादा योगदान देते हैं। हालात ये हैं कि मार्च में रूस के तेल और गैस के कारोबार से मिलने वाला राजस्व पिछले साल मार्च की तुलना में 17 प्रतिशत कम हो गया है। अब अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कई देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले के बाद इसमें भारी गिरावट आने का अनुमान है। रूस की सरकार इसे लेकर चिंतित है। रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव से जब तेल की कीमतों के गिरने का रूस की अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘बेशक हम इसे लेकर चिंतित हैं। ये संकेतक हमारे बजट के लिए बेहद अहम हैं और अभी इनकी स्थिति बेहद तनावपूर्ण और चिंताजनक है। हालांकि हम इससे उबरने के लिए कदम उठा रहे हैं।’
*अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या हैं तेल की कीमतें*
शुक्रवार को रूस का यूराल ऑयल 52 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है और इसके अभी और गिरने की आशंका है। अमेरिकी डब्लूटीआई क्रूड या टेक्सास ऑयल भी 60 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है और ब्रेंट ऑयल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 64 डॉलर प्रति बैरल है। इस उठा-पटक के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर एक पोस्ट साझा किया, जिसमें ट्रंप ने लिखा कि चीन ने अमेरिका पर जो 34 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, अगर उसे 24 घंटे में नहीं हटाया तो चीन पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। इससे अमेरिका और चीन में ट्रेड वार रुकने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं और इसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय है।

Author: Em Tv Live



