चिंताजनक: बेहद खतरनाक होता जा रहा वज्रपात, इस साल अब तक 162 की मौत; एक साल में 184 फीसदी मौतों की वृद्धि* 

*चिंताजनक: बेहद खतरनाक होता जा रहा वज्रपात, इस साल अब तक 162 की मौत; एक साल में 184 फीसदी मौतों की वृद्धि*

 

*नई दिल्ली*

 

*दीपक कुमार शर्मा*

 

मार्च 2025 से 17 अप्रैल 2025 तक देश के 12 राज्यों में बिजली गिरने से 162 लोगों की जान चली गई। यह संख्या पिछले साल इसी अवधि में दर्ज हुई 57 मौतों की तुलना में 184 फीसदी अधिक है, जो जलवायु परिवर्तन जनित एक नये खतरे की गंभीरता को उजागर करती है।

 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट और एक्सट्रीम वेदर इवेंट्स एटलस के आंकड़ों के साथ-साथ विभिन्न राज्यों के आपदा प्रबंधन विभागों के सार्वजनिक आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्थिति सामने आई है। विशेषज्ञों के अनुसार 2022 से मार्च-अप्रैल के महीने वज्रपात के लिहाज से खासे घातक बनते जा रहे हैं। सिर्फ अप्रैल 2025 के शुरुआती 17 दिनों में ही बिजली गिरने से 142 लोगों की मौत हुई, जो अप्रैल 2024 में हुई 28 मौतों की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। हालांकि मार्च 2025 में वज्रपात से 20 मौतें हुईं, जो मार्च 2024 के 29 मौतों से थोड़ी कम हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी से लदी पूर्वी हवाओं के चलते वायुमंडलीय अस्थिरता में वृद्धि हुई, जिसने वज्रपात की घटनाओं को बढ़ाया। साथ ही चेतावनी प्रणालियों और जन जागरूकता अभियानों में कमी की वजह से इन घटनाओं में जानमाल का नुकसान बढ़ा जिसे समय रहते नियंत्रित किया जा सकता था।

 

उत्तर प्रदेश में भी स्थिति गंभीर रही। मार्च और अप्रैल 2025 के बीच वहां बिजली गिरने से 28 मौतें हुईं, जिनमें से 23 सिर्फ अप्रैल के पहले 17 दिनों में हुईं। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 460 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है, जब केवल पांच मौतें दर्ज हुई थीं।

 

*बिहार सबसे अधिक प्रभावित*

 

मार्च से अप्रैल 2025 के बीच बिहार सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा, जहां वज्रपात से 99 मौतें दर्ज की गईं, जो देशभर में हुई कुल मौतों का 61 फीसदी है।

हैरान करने वाली बात यह है कि इन 99 मौतों में से 98 सिर्फ छह दिनों 9 से 14 अप्रैल के भीतर हुईं। अप्रैल 2025 बिहार के लिए वज्रपात के लिहाज से सबसे घातक महीना बन गया, जिसने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। तुलना करें तो अप्रैल 2020 में 25, अप्रैल 2018 में 24 और अप्रैल 2019 में 12 मौतें दर्ज हुई थीं। इसके विपरीत 2023 और 2024 में इस अवधि में कोई भी मौत दर्ज नहीं हुई थी। बिहार पहले से ही वज्रपात के लिहाज से संवेदनशील राज्य रहा है।

 

*मार्च-अप्रैल में वज्रपात की तीव्रता अप्रत्याशित*

 

जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार 2017 से 2022 के बीच राज्य में 58.8 फीसदी मौतें और 59.4 फीसदी चोट लगने की घटनाएं भी इन्हीं महीनों में हुईं लेकिन इस बार मार्च-अप्रैल में वज्रपात की तीव्रता अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है। 17 दिनों के भीतर दर्ज मौतों का आंकड़ा पिछले नौ वर्षों का सबसे अधिक है जो जलवायु परिवर्तन और असामान्य मौसमी घटनाओं के खतरों की ओर इशारा करता है।

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Author: Em Tv Live

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