*एसपीटी एक्ट की अनदेखी कर की जा रही हैं आंनलाइन लगान की वसूली, बहुसंख्यक रैयत लगान जमा करने से वंचित*
*दुमका*
*गौतम चटर्जी की रिपोर्ट*
संथाल परगना में एसपीटी एक्ट की अनदेखी कर आंनलाइन लगान की वसूली की जा रही है, जिससे बहुसंख्यक रैयत लगान जमा करने से वंचित हो गए हैं| दिगुली ग्राम सभा के अध्यक्ष श्याम राय ने बताया कि संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम में ग्राम प्रधान को भूमि राजस्व का लगान वसूली करने का प्रावधान हैं।
दूसरी ओर बिना मंत्रिमंडल के निर्णय के मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने ऑनलाइन लगान वसूली करने का आदेश दिया हैं। साथ ही जमीन का रिकॉर्ड अधिकार अभिलेख में ऑनलाइन प्रविष्टि करने का आदेश दिया हैं। उस आदेश के बाद संथाल परगना में ग्राम प्रधानों को एसपीटी एक्ट के तहत प्राप्त अधिकार से वंचित कर दिया गया हैं। ऑनलाइन लगान वसूली चालू होने के बाद बहुसंख्यक रैयत लगान जमा करने से वंचित हैं।
अधतन लगान रशिद नहीं रहने के कारण छात्र छात्राओं को आय प्रमाण पत्र एवं निवासी प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है| बताते चलें कि यहां गेन्जर सेटलमेंट के रिकॉर्ड में दर्ज जमाबन्दी जमीन को ही ऑनलाइन रिकार्ड किया गया हैं| 1911 में बिहार स्वतंत्र राज्य घोषित होने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी के द्बारा सीमांत किसानों की खास जमीन बंदोबस्त की गई थी। पांच दशक से उस जमीन पर रैयत जोत आबाद कर रहे हैं।
जमीन का दाखिल खारिज हो गया हैं। रैयत पांच दशक से जमीन का ऑफलाइन लगान जमा कर रहे थे। मुख्य सचिव श्रीमती वर्मा के उस प्रशासनिक आदेश के बाद से किसान बंदोबस्त जमीन का लगान जमा करने से वंचित हैं। मसानजोड़ डैम के विस्थापित प्रजाओ की स्थिति और भी दयनीय हैं ।
डैम निर्माण के समय विस्थापित प्रजाओ से अधिग्रहण की गई जमीन के बदले मयूराक्षी पुर्नवास योजना के तहत जमीन की पूर्ण बंदोबस्ती की गई है, लेकिन 67 सालों के बाद भी एम आर ओ पट्टा के जमीन के अधिकार अभिलेख में प्रविष्टि नहीं हुई हैं। भूमि राजस्व विभाग के अधिकारी एम आर ओ के द्बारा रिसेटलमेंट की गई जमीन को अधिकार अभिलेख में एंट्री करने को लेकर उदासीन बने हुए हैं।