*आस्थाजोड़ा गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन सती, ध्रुव व कपिल चरित्रों का वर्णन*
*कथा के दौरान गूंजती रही भक्ति और भजन की स्वर लहरियां; श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर किया कथा का रसपान*
*मसलिया(दुमका)
मसलिया प्रखंड के बसकीडीह पंचायत अंतर्गत आस्थाजोड़ा गांव में चल रही साप्ताहिक श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार की कथा श्रद्धा एवं भक्तिभाव के वातावरण में संपन्न हुई। वृंदावन धाम से पधारे सुप्रसिद्ध कथा वाचक संजय शास्त्री जी महाराज ने इस दिन सती जी, कपिल भगवान, ध्रुव जी महाराज, प्रथु जी और भरत जी महाराज के प्रेरणादायक चरित्रों का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर रहने का संदेश दिया।
कथा के दौरान शास्त्री जी ने सती जी के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सती जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, धर्म और पति के प्रति निष्ठा जीवन का सर्वोच्च धर्म है। उन्होंने बताया कि सती जी ने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने आत्म-सम्मान और आदर्शों को नहीं छोड़ा। उनके जीवन से धैर्य, साहस और दृढ़ संकल्प की प्रेरणा मिलती है। इसके बाद ध्रुव जी महाराज की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि बालक ध्रुव की भक्ति और अटूट संकल्प हमें यह सिखाता है कि ईश्वर की उपासना और सच्ची निष्ठा से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। ध्रुव की कथा केवल बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि हर आयु वर्ग के लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
कथा में कपिल भगवान के चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि कपिल भगवान ने अपनी माता देवहूति को सांख्य योग का उपदेश दिया, जो ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है। वहीं, प्रथु जी महाराज के चरित्र से शासन, सेवा और जनकल्याण की भावना का संदेश मिलता है। अंत में भरत जी महाराज की कथा में बताया गया कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए मनुष्य को ममता और मोह से ऊपर उठकर परमात्मा की भक्ति में लीन रहना चाहिए। कथा श्रवण के दौरान क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे। पूरे पंडाल में भक्ति और भजन की स्वर लहरियाँ गूंजती रही। उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर होकर कथा का रसपान करते रहे। कथा में भक्तों व श्रद्धालुओं की बैठने व प्रसाद की व्यवस्था ग्राम वासी सुबल पांडेय ने किया है।



